प्राथमिक शिक्षा
पहले बच्चों की शिक्षा सरल और आसान होती थी। बच्चे स्कूल शिक्षा से पहले बच्चे आपस में मिलके गली मोहल्लों में खेलते थे। यह खेल भी आसान होते थे। पिट्ठुक , गिली - डंडा , कंचों का खेल , रस्सी कूद , इत्यादि इत्यादि।
बच्चे ५-६ साल के होते थे तो प्राथमिक शिक्षा के लिए स्कूल जाते थे। यहाँ पर क ख ग की वर्णमाला और १ से लेकर ५० तक की गिनती सिखाते थे। बच्चे धीरे धीरे सीखना शुरू कर देते थे। फिर अगली कक्षा में कवितायेँ सिखाई जाती थी। कवितायेँ भी प्रेरणादायक होती थी जैसे चंदा चाचा के बाढ़े में दो पहलवान अखाड़े में। फिर यह दांव चला फिर वह दांव चला , फिर उठा पटक , कोई इधर गिरा कोई उधर गिरा। चन्दन चाचा के बाड़े में दो पहलवान अखाड़े में। सरल शब्दों वाली छोटी छोटी कहानियां , सरल शब्दों में सिखाई जाती थी, समझायी जाती थी।
बच्चों को खेल कूद भी सिखाया जाता था , छोटी छोटी दौड़ , खो खो का खेल १५ अगस्त का राष्ट्रीय पर्व पर गीत संगीत बाद में मिष्ठान वितरण। इसी तरह २६ जनवरी गणतंत्र दिवस पर छोटी छोटी कवितायेँ , झांकियां , प्रधान आचार्य का भाषण आदि आदि। अप्रैल महीने में नतीजे घोषित किये जाते थे। माता पिता भी बच्चों के नतीजे लेने के लिए उनके साथ जाया करते थे। बच्चे भी नतीजों से खुश होते और गर्मी की छुट्टियों का आनंद लेने का प्रोग्राम बनाने लगते। इसी तरह प्राथमिक शिक्षा पूरी हो जाती